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डूबती टिहरी का दर्द

inner voice
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टिहरी  उत्तराखंड  राज्य का वो शहर जहाँ  गढ़वाल की विरासत समाई  हुई है ! जहाँ राजा महराज्यो  के दरबार सजे रहते थे गढ़वाल की साहित्य ,परम्परओ से भरपूर ,कुछ हिस्से कुछ किस्से समेटे है  वो शहर जो गढ़वाल की संस्कृति से सम्पूर्ण एक अलग पहचान बनाये रखता था !आईये  आपको ले चलते है डूबती टेहरी क कुछ किस्से कुछ हिस्से ,उन् यादो में जो आज उत्तराखंड के अलग अलग जगह बस चुके है अपने शहर को डूबता हुआ छोड़ के अपनी आँखों में कुछ यादें समेटे हुए ! जो यादे लोगो की आँखों से झलक उठती है !

एक झुर्रियों भरा चेहर जो अपनी ,नौकरी से रिटायर हो चूका है  जिसके सर के बाल भी सफेद हो चुके है ! और शायद ऑखो  से भी धुंधला दिखने लगा है !एक वो चेहरा जो अपनी हर जिम्मेदारियों को निभा चूका है  के बच्चो भविषय  को सवार चूका है  उनकी शादी, सब कुछ ,सारी  जिम्मेदारियों से मुक्त हो चूका है !
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फुर्सत के कुछ लम्हे निकाल  वो बूढ़ा  चेहरा अपनी धुंधली आँखों में आज भी कुछ यादो की तस्वीर लिये  एक सोच में डूबा  हुआ है!भले ही उसकी आँखों से अभी का नजारा धुंधला दिखता होगा! पर  उसकी वो यादो की तस्वीर आज भी उसकी उन् धुंधली आँखों में जीवित सी  प्रतीत होती है वो बूढ़ा  चेहरा अपने बचपन की उन यादो में खो चूका है जब वो जिम्मेदारियों से मुक्त ,मस्तमौला   हुआ करता था ! तब उसे शायद किसी चीज़ की ख़ुशी और गम  का इतना एहसास  नही था ! जितना आज है अपने शहर को खो देने का दुःख ! टिहरी को खो देने का दुःख  वो शहर जहाँ उसने कुछ सपने पिरोये थे बचपन के उन उनछुऐ खेलो में ,स्कूलों में,उसके शहर  की गलियो में , आज भी वो चेहरा अपने बचपन को याद कर खिल उठता है ! वो चेहरा  जानता है की जिस शहर में उसने अपने सपने पिरोये ,अपना बचपन जिया  और अपने भविषय  कि  कामना की ,आज उस शहर के डूबने का दुःख उसकी आँखो में साफ़ दिखता है ! उससे उसका वो शहर कहता है की आज वो शहर बहुत उदास है  दर्द में डूबा हुआ है अपने अस्तित्व को खो चूका है ! लगभग 7 साल की उम्र का वो मासूम बच्चा  तब बहुत उदास हुआ होगा  जब वो अपने शहर को छोड़ कहीं और बसने  चल दिया होगा और शायद उसे ये अंदाजा भी नही था की वो अपने शहर को दुबारा कभी देख पायेगा ,उन् खेलो के मैदानों को ,वो स्कूल की घंटी ,पुरानी टिहरी  का  वो बाजार ,वसंत पंचमी ,मकरसक्रांति के वो मेले ,सिंगोरी की खुसबू और उसकी मिठास ,उसे दुबारा देखने को नही मिलेगी ! उसका शहर कहता है उससे की आज वो सारी  रौनक डूब चुकी है ! लघभग10   साल से  बने  टिहरी  डाम के निर्माण  ने उस शहर के अस्तित्व को डूबा दिया है!
उसका शहर लेकर  चला है उसे उसकी उन् धुंधली आँखों से उन् यादो  और तस्वीरो को1988  में जहाँ 268,885  परिवारो को अपना शहर  छोड़ना  पड़ा ! वो  शहर और उसके आस  पास  बसे 100 से ज्यादा गॉव  , उनके खेेत ,ख्ल्याण  ,मठ ,मंदिर  जँहा वो चेहरा अपने  दादी ,दादा के साथ जाया करता था !
वो मौसम के मेले ,वो गॉव के गीत ,उसका शहर कहता है उससे की वो सब याद कर वो दुखी होता है  260 मीटर   की गहरायी  में डूबा  वो शहर आज उस दर्द को जी रहा है  जहाँ  एक अलग  ही रौनक लगी रहती थी , वो घंटाघर, वो प्रचीन मंदिरो की घंटिया ,पूजा  ,अर्चना की आवाजे , वो भागीरथी और भिलंगना का संगम ,नदियों की कल कल करती आवाजे मानो एक संगीत सा कहीं सूनने को मिल रहा हो अब  शांत हो चूका है ,थम चूका है , वो कितने ही  परिवारो में नये  लोगो का आना ,शादी की चहल पहल ,तीज  त्योहारो में सजा बाजार ,मेले में बनी सिंगोरी ,जलेबी , पकोड़ी की खुशबु ,औरतो और  बच्चो की आवाज  से भरा बाजार आज पानी में डूब चूका है उसका शहर कहता है उससे वो 25 जुलाई की छुट्टी ,जेल का खुलना और कोठरी को देखने जाना ,जहाँ श्री देव सुमन ने प्राण त्यागे  वो 84 दिन का उपवास ,वो बलिदान डूब गया है। वो शहर कहता है उससे की उसका दर्द असहनीय है उन् बूढ़ी  आँखों  की तस्सविरो में वो दर्द छलक  रहा है ! उसका शहर  ले चला है उससे उसके गांवो  की यादो में ,वो दादा पर्ददा  की जमींन  ,वो पीडियो की सम्पति, आज पानी में समां चुकी है ,वो प्राकृतिक खूबसूरती ,वो दोस्तों क साथ अपने शहर  में घूमना ,सब  याद कर वो बूढी  आँखे झलक  रही है। उसका शहर कहता है उससे जितना दुःख दर्द तुम्हे शहर छोड़ने में हुआ उससे कई ज्यादा दर्द मुझे डूबने का हुआ ! वो बुढा  चेहरा उन यादो की तस्वीरो में खो कर आँखों से अपने शहर के दर्द को बता रहा है  और उन् यादो को याद कर दोबारा से अपने शहर में जीने की चमक ,उमंग को जाता रहा है. आज भी वो चमक उन् आँखों में एक अलग दुनिया को बय्याँ कर रही है !

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