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नारी कि सुरक्षा के लिए उठते सवाल

inner voice
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नारी कि सुरक्षा  के लिए उठते सवाल  लगभग  एक साल पूरा होने वाला  है १६ दिसंबर कि  उस दरदनाक  घटना को जिसने पुरे देश में युवाओ को  ही  नही बल्कि बच्चे ,बूढ़े सभी लोगो को सड़क पर उतरने ,  व मोंन  आंदोलन धारण करने पर मजबूर कर  दिया था कानून बने ,सजाए  तय हुई ,वाद विवाद हुए , पर लागु नही?? उस दरदनाक हादसे क बाद भी क्या हदसे रुके शयद नही ऐसा कब तक , ये सवाल देश के हर नागरिक के  मन में उठता होगा और वो खुद से  पूछता भी  होगा जहाँ कानून है ,नियम है  वहाँ   अगर ऐसा हो रहा है तो जहाँ  ये सब नही  है वहाँ  कि  महिलये कितनी सुरक्षित होंगी नाजाने कितने ही यौन उत्पीड़न , बलत्कार के मामले  दर्ज है और कितने ही इस सुनवई में हमारी अदालत में है जिस पर दुस्कर्म हुआ वो  इंसान तो वैसे ही मर जाता है पर फैसला वो नहीं आता अभी नारी दुर्गा ,लक्ष्मी,सरस्वती के रूप में है पर वो दिन दूर नही जब नारी अंदर की काली के रूप में आयेगी ! एक दिन कड़े कानून बनेंगे ,सजये होंगी पर  सुनाने वाला कोई नही मानते है कि दुसकर्मियो कि सजये पीडितो कि जिंदगी वापस नही कर सकती ,जो खोया वो नही लौटा सकती पर इतने कड़े कानून बने और लागु भी करे जिससे  ऐसी  हरक़त करने से पहले दसकर्मी की रूह तक काँप जाये! ये एहसास दिलाने कि जरुरत है कि वो गलत है ना कि किसी का पहनावा ,बोलना ,घूमना ! अपनी  सुरक्षा ,स्वाभिमान ,अस्तित्व के  लिए सवयं  आवाज उठानी होगी

Krishna rawat

rishikesh

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